कॉमेडी फिल्मों की लोकप्रिय फ्रेंचाइजी हाउसफुल का पाँचवाँ भाग यानी हाउसफुल 5 आखिरकार रिलीज हो गया है। इस फिल्म से दर्शकों को बहुत उम्मीदें थीं—खासकर अक्षय कुमार और रितेश देशमुख की टाइम-टेस्टेड कॉमिक केमिस्ट्री को लेकर। लेकिन इस बार, मज़ा अधूरा रह गया।
🎬 कहानी में नहीं कोई नयापन
‘हाउसफुल 5’ की कहानी एक बार फिर भ्रम, झूठ और पहचान की उलझनों के इर्द-गिर्द घूमती है। फिल्म में शादी, धोखा, और कई नकली-पहचानों वाला फॉर्मूला अपनाया गया है जो पहले भी कई बार दर्शकों को परोसा जा चुका है।
इस बार कहानी को और ज्यादा उलझाने की कोशिश की गई है, लेकिन ये उलझन दर्शकों को बांधने के बजाय थका देती है।
🌟 स्टार परफॉर्मेंस
अक्षय कुमार और रितेश देशमुख इस फिल्म के दो मजबूत स्तंभ हैं। अक्षय की टाइमिंग शानदार है और रितेश हमेशा की तरह अपनी कॉमिक प्रेजेंस से दर्शकों को हँसाने की कोशिश करते हैं। इन दोनों की जोड़ी ही फिल्म को किसी हद तक संभालती है।
अभिषेक बच्चन, पूजा हेगड़े, कृति सेनन और अन्य किरदार बस स्क्रीन पर मौजूद रहते हैं, लेकिन कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ पाते।
फिल्म में नाना पाटेकर का एंट्री सीन मजेदार है, लेकिन स्क्रिप्ट उन्हें ज्यादा कुछ करने का मौका नहीं देती।
🖊️ निर्देशन और स्क्रिप्ट
फिल्म का निर्देशन किया है तरुण मनसुखानी ने, लेकिन लगता है कि वे ‘हाउसफुल’ सीरीज की स्पिरिट को पकड़ नहीं पाए।
कॉमेडी फिल्मों में टाइमिंग और स्क्रिप्ट बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन यहाँ स्क्रिप्ट इतनी कमजोर है कि कई जगह जबरदस्ती हँसी ठूँसने की कोशिश की गई है।
पहले भागों की तरह इस फिल्म में भी गानों और ग्लैमर का तड़का है, लेकिन वो भी दर्शकों को लुभाने में असफल रहता है।
🎶 संगीत और तकनीकी पक्ष
फिल्म का संगीत औसत दर्जे का है। कोई भी गाना ऐसा नहीं है जो थिएटर से निकलते वक्त आपके साथ आए।
कैमरावर्क और प्रोडक्शन डिजाइन भले ही भव्य हैं, लेकिन तकनीकी साज-सज्जा एक कमजोर स्क्रिप्ट को नहीं बचा सकती।
😐 क्या है कमी?
- स्क्रिप्ट बेहद प्रेडिक्टेबल और बासी लगती है
- सेकंड हाफ में फिल्म की गति धीमी पड़ जाती है
- कुछ किरदार जबरदस्ती ठूंसे गए लगते हैं
- पुराने जोक्स को दोहराया गया है
😄 क्या है अच्छा?
- अक्षय और रितेश की केमिस्ट्री
- कुछ सिचुएशनल कॉमिक सीन
- फैमिली एंटरटेनमेंट के लिहाज से कुछ हल्के पल
📢 निष्कर्ष
हाउसफुल 5 एक ऐसे सीक्वल की तरह है जिसे बनाने की जल्दी में इसके मूल आकर्षण को नजरअंदाज कर दिया गया।
जहां अक्षय कुमार और रितेश देशमुख अपनी पूरी कोशिश करते हैं फिल्म को मजेदार बनाने की, वहीं कमजोर स्क्रिप्ट और फालतू मजाक फिल्म को बोझिल बना देते हैं।
यदि आप अक्षय-रितेश के फैन हैं तो एक बार देख सकते हैं, लेकिन जो उम्मीदें ‘हाउसफुल’ नाम से जुड़ी थीं, वो इस बार अधूरी रह जाती हैं।
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