बॉलीवुड में ‘खान ट्रायो’ यानी शाहरुख खान, सलमान खान और आमिर खान को लेकर दशकों से एक खास चर्चा होती रही है। इन तीनों अभिनेताओं ने 90 के दशक से लेकर आज तक हिंदी सिनेमा पर राज किया है। लेकिन अब इन चर्चाओं को लेकर खुद आमिर खान ने सवाल उठाए हैं।
हाल ही में एक इंटरव्यू में आमिर खान ने कहा,
“हर बार जब बॉलीवुड की बात होती है, तो सिर्फ तीन खान की बात होती है। ये बात मुझे थोड़ी अजीब और तकलीफदेह लगती है, क्योंकि इंडस्ट्री में और भी कई ऐसे कलाकार हैं जो बेहद काबिल हैं।“
🌟 आमिर की बात में क्या है दम?
आमिर खान को हिंदी सिनेमा में ‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ के नाम से जाना जाता है। उनके द्वारा किए गए फिल्म चयन और उनकी स्क्रिप्ट की समझ उन्हें बाकियों से अलग बनाती है। लेकिन उनके मुताबिक, बार-बार सिर्फ तीन खान – शाहरुख, सलमान और उनके ही नाम की चर्चा होना अन्य टैलेंटेड एक्टर्स के साथ नाइंसाफी है।
आमिर कहते हैं,
“अगर कोई इंटरव्यू या आर्टिकल आता है, तो हमेशा ये सवाल होता है कि तीनों खानों में सबसे बड़ा कौन है? ये रेस किसके लिए है? इंडस्ट्री में पंकज त्रिपाठी, मनोज बाजपेयी, राजकुमार राव, विक्की कौशल, आयुष्मान खुराना जैसे कई जबरदस्त कलाकार हैं, उनकी बात क्यों नहीं होती?”
🎥 ‘खान’ ब्रांड की वजह से फोकस
तीनों खान पिछले तीन दशकों से बॉलीवुड के सबसे बड़े कमर्शियल चेहरों में शामिल रहे हैं। उनकी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड बनाए हैं। चाहे ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ हो, ‘बजरंगी भाईजान’ हो या ‘दंगल’ — तीनों ने अपने अपने तरीके से भारतीय दर्शकों को जोड़ा।
मीडिया और फैंस की नजरों में “खान” एक ब्रांड बन गया है, जिसकी चर्चा करना आसान और चर्चित रहता है। यही कारण है कि कई बार सिर्फ इन्हीं चेहरों पर लाइमलाइट केंद्रित हो जाती है।
🎭 आमिर का नजरिया: हर कलाकार को मिलना चाहिए स्पेस
आमिर खान के मुताबिक, सिनेमा एक टीमवर्क है और इसमें हर किसी का योगदान महत्वपूर्ण होता है। चाहे कोई छोटा रोल निभा रहा हो या स्क्रीन पर बस एक सीन के लिए हो, हर कलाकार अपने तरीके से कहानी को जीवंत बनाता है।
“अगर हम सिर्फ स्टार्स की बात करेंगे, तो उन हजारों एक्टर्स और टेक्नीशियनों के काम को नजरअंदाज कर देंगे जो पर्दे के पीछे मेहनत करते हैं।”
🎬 इंडस्ट्री में बदलाव की जरूरत
आमिर ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि मीडिया और दर्शक दोनों ही नए चेहरों और टैलेंट को उतना ही महत्व दें, जितना बड़े सितारों को दिया जाता है।
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के आने के बाद से नए कलाकारों को पहचान मिल रही है, लेकिन मुख्यधारा की मीडिया और ट्रेड एनालिसिस अब भी पुराने पैटर्न पर ही टिके हैं।
🧾 निष्कर्ष
आमिर खान का यह बयान बॉलीवुड की दशकों पुरानी मानसिकता पर सवाल खड़ा करता है। स्टारडम की चकाचौंध में कई बार टैलेंट की गहराई दब जाती है। उनका कहना जायज है कि अगर इंडस्ट्री को और मजबूत बनाना है तो हर कलाकार, लेखक, डायरेक्टर और टेक्नीशियन को बराबरी का स्पेस और सम्मान देना होगा।
हो सकता है कि शाहरुख, सलमान और आमिर आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा हों, लेकिन सिर्फ उन्हीं तक बात सीमित रखना नए कलाकारों के लिए अवसरों को सीमित कर सकता है।
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