बॉलीवुड में कई बार ऐसा हुआ है जब एक फिल्म कई कलाकारों को ऑफर की जाती है, लेकिन किस्मत किसी एक के दरवाजे पर दस्तक देती है और वही फिल्म उसके करियर का टर्निंग प्वाइंट बन जाती है। ऐसा ही कुछ हुआ था सैफ अली खान के साथ। जिस फिल्म को पहले आमिर खान, ऋतिक रोशन और विवेक ओबेरॉय ने करने से मना कर दिया था, वही फिल्म सैफ के लिए सुपरस्टारडम का रास्ता बन गई।
यह फिल्म थी ‘दिल चाहता है’, जिसे आज भी हिंदी सिनेमा की आधुनिक क्लासिक फिल्मों में गिना जाता है।
⭐ ‘दिल चाहता है’ से मिली नई पहचान
2001 में रिलीज हुई फरहान अख्तर की पहली फिल्म ‘दिल चाहता है’ ने बॉलीवुड में नया ट्रेंड सेट किया था। यंग जनरेशन की दोस्ती, रिश्ते और जिंदगी के प्रति नजरिया जिस मॉडर्न और सच्चे अंदाज में दिखाया गया, वह उस समय के लिए क्रांतिकारी था।
इस फिल्म में सैफ अली खान ने समीर का किरदार निभाया था — एक रोमांटिक, मासूम और कंफ्यूज लड़का, जो अपने दिल की सुनता है। यह किरदार सैफ के करियर में एक नई जान लेकर आया और उन्हें पहली बार यंग और अर्बन दर्शकों से जोरदार कनेक्शन मिला।
आमिर, ऋतिक और विवेक ने क्यों किया इनकार?
फरहान अख्तर ने जब ‘दिल चाहता है’ की स्क्रिप्ट लिखी थी, तब वह तीनों मुख्य किरदारों में इंडस्ट्री के सबसे टॉप एक्टर्स को लेना चाहते थे।
- आमिर खान ने शुरुआत में समीर का किरदार ऑफर किया गया था, लेकिन उन्होंने फिल्म का सबसे इंटेंस रोल आकाश करने की इच्छा जताई और वही किया।
- ऋतिक रोशन, जिनका ‘कहो ना प्यार है’ से सुपरहिट डेब्यू हुआ था, उन्हें भी समीर का रोल ऑफर किया गया था। उन्होंने फिल्म को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि किरदार में ज्यादा स्कोप नहीं है।
- विवेक ओबेरॉय को भी ये किरदार ऑफर किया गया, लेकिन उन्होंने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया क्योंकि वह एक सोलो हीरो फिल्म के इंतजार में थे।
इन सबके इनकार के बाद फरहान की नजर पड़ी सैफ अली खान पर, जिनका करियर उस समय संघर्ष के दौर से गुजर रहा था।
सैफ के लिए वरदान बनी फिल्म
सैफ अली खान ने इससे पहले ‘मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी’, ‘ये दिल्लगी’ जैसी फिल्मों से पहचान तो बनाई थी, लेकिन उन्हें कोई ठोस ‘इमेज’ नहीं मिल पाई थी।
‘दिल चाहता है’ ने सैफ को एक अर्बन, स्मार्ट और रोमांटिक हीरो की नई पहचान दी। उनके डायलॉग्स, कॉमिक टाइमिंग और भोलेपन ने दर्शकों का दिल जीत लिया। फिल्म के बाद उन्हें ‘हंप्टी रोमांटिक हीरो’ की टैगलाइन मिलने लगी, जो उस दौर के लिए काफी अनोखी थी।
इसके बाद क्या हुआ?
‘दिल चाहता है’ के बाद सैफ अली खान ने ‘कल हो ना हो’, ‘हम तुम’, ‘सलाम नमस्ते’ जैसी फिल्मों में यंगस्टर रोल निभाकर एक पूरी नयी फैनबेस तैयार कर ली। वह धीरे-धीरे एक ऐसे अभिनेता के रूप में उभरे जो स्टाइल, क्लास और कैरेक्टर रोल्स का परफेक्ट कॉम्बिनेशन थे।
क्या कहते हैं आज के सिनेमा एक्सपर्ट?
फिल्म समीक्षक और इंडस्ट्री इनसाइडर्स मानते हैं कि अगर उस समय ऋतिक या विवेक ने इस रोल को किया होता, तो शायद फिल्म उतनी यादगार नहीं बनती। सैफ ने जो मासूमियत और कॉमिक एलीमेंट्स इस किरदार में डाले, वही फिल्म की यूएसपी (USP) बन गई।
निष्कर्ष
कहते हैं कि किस्मत जब दरवाजे पर दस्तक देती है, तो उसे पहचानना जरूरी होता है। ‘दिल चाहता है’ सैफ अली खान के लिए वही मौका था। और उन्होंने उसे बखूबी भुनाया। बॉलीवुड में यह फिल्म न सिर्फ एक कल्ट क्लासिक बनी, बल्कि एक कलाकार की नई पहचान की नींव भी रखी।
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